आपकी शादी में अवरोध/बाधा के ये वास्तुदोष हो सकते हैं कारण–

वास्तुशास्‍त्र एक व‌िज्ञान है जो द‌िशा एवं आपके आस-पास मौजूद चीजों से उत्पन्न उर्जा के प्रभाव को बताता है।हमारे जीवन में वास्तु का महत्वबहुत ही आवश्यक है। इस विषय में ज्ञान अतिआवश्यक है।  वास्तुशास्त्र पूर्णत: वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित है,अत: वास्तु दोष का प्रभाव मानव जीवन पर अवश्य पड़ता है। वास्तु दोष रहित भवन में मनुष्य को शांति प्राप्त होती है। वास्तु दोष होने पर उस गृह में निवास करने वाले सदस्य किसी न किसी रूप में कष्ट स्वरूप जीवन व्यतीत करते हैं।

वास्तु दोष से व्यक्ति के जीवन में बहुत ही संकट आते हैं। ये समस्याएँ घर की सुख-शांति पर प्रभाव डालती हैं। यदि वास्तु को ध्यान में रखकर घर का निर्माण किया जाए तो वास्तुदोषों के दुष्परिणामों से बचा जा सकता है। वर्तमान के बदलते दौर में वास्तु का महत्व दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। आजकल कई बड़े-बड़े बिल्डर व इंटीरियर डेकोरेटर भी घर बनाते व सजाते समय वास्तु का विशेष ध्यान रखते हैं। दी में देरी होना पैरेंट्ंस के लिए चिंता का सबब हो सकता है। आपके घर में कुछ वास्तु दोष की वजह से भी शादी विवाह में देरी हो सकती है।

यदि आपके घर में वास्तु व‌िज्ञान के अनुसार उर्जा अगर अनुकूल है तो आपकी प्रगत‌ि होगी और प्रत‌िकूल उर्जा होने पर परेशानी आती है और यह जीवन के हर क्षेत्र पर लागू होता है चाहे वह आपका वैवाह‌िक संबंध हों या फिर व‌िवाह की चाहत।

 आपके विवाह में देरी के येवास्तुदोष हो सकते हैं कारण–

—वास्तु व‌िज्ञान के अनुसार व‌िवाह योग्य कुंवारे लड़कों को दक्ष‌िण और
दक्ष‌िण पश्च‌िम द‌िशा में नहीं सोना चाह‌िए। इससे व‌िवाह में बाधा आती है।
माना जाता है क‌ि इससे अच्छे र‌‌िश्ते नहीं आते हैं।
—- किसी भी भवन में पानी का निकास उत्तर- पूर्व की ओर होना वस्तु शास्त्र सम्मत है परन्तु वायव्य कोण में भवन के पानी का निकास होना भी वास्तु दोष है। उपरोक्त दोषों के कारण भवन में वास्तु दोष होता है। वास्तु दोष के फलस्वरूप संतान संबंधी कष्ट, पीड़ा और संतानहीनता का कष्ट देखना पड़ता है।
—काले रंग के कपड़े और दूसरी चीजों का इस्तेमाल कम करना चाह‌िए।
—वास्तु के मुताबिक जिन लड़कों की शादी में देरी हो रही है तो उनका बेडरुम साउथ-ईस्ट दिशा से हटा देना चाहिए।
—  यदि किसी भवन में उत्तर-पश्चिम वायव्य कोण में रसोई हो तो वास्तु दोष होता है। इस दोष के कारण परिवार में संतान पक्ष से, कष्टों एवं दुखों का सामना करना पड़ता है।
—- शादी में देरी वाले को अपना ब‌िस्तर इस तरह रखना चाह‌िए ताक‌ि सोते समय
पैर उत्तर और स‌िर दक्ष‌िण द‌िशा में हो। सोने के इस न‌ियम की अनदेखी से बचना
चाह‌िए।
—- आपके घर के ज‌िन कमरों में एक से अध‌िक दरवाजे हों उस कमरे में व‌िवाह
योग्य लड़कों को सोना चाह‌िए। ज‌िन कमरों में हवा और रोशनी का प्रवेश कम हो उन
कमरों में नहीं सोना चाह‌िए।
—आपके कमरों का रंग डार्क यानी गहरा नहीं होना चाह‌िए। दीवारों का रंग
चमकीला, पीला, गुलाबी होना शुभ होता है।
—— वास्तु शास्त्र के अनुसार विवाह योग्य युवक-युवती जिस पलंग पर सोते हैं, उसके नीचे लोहे की वस्तुएं या व्यर्थ का सामान नहीं रखना चाहिए। ऐसा होने से उनके विवाह योग में बाधा उत्पन्न होती है।
—-ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जन्म लग्र कुंडली में पंचम भाव संतान की स्थिति का विवरण देता है। इसका विस्तृत अर्थ यह हुआ कि यदि किसी भवन में वास्तु का वायव्य कोण दूषित है तो उस गृह स्वामी की जन्म लग्र कुंडली में भी पंचम एवं षष्ठम भाव भी दूषित व दोषयुक्त होंगे अथवा जिस जातक की जन्म कुंडली में ये
दोनों भाव दूषित होंगे वह अवश्य ही वायव्य दोष अर्थात् वास्तु दोष से भी पीड़ित होगा।
—-ऐसी जगह पर नहीं सोएं जहां बीम लटका हुआ द‌िखाई दे।
—  वायव्य कोण उत्तर और पश्चिम के संयोग से निर्मित होने वाला कोण या स्थान है। हमारे शास्त्रों के अनुसार यहां चंद्रमा का आधिपत्य होता है। इसके दूषित होने से संतान कष्ट होता है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार जन्म लग्र कुंडली के पंचम भाव एवं षष्ट भाव में दोष होने से वायव्य कोण में दोष पैदा होता है क्योंकि जन्म कुंडली में पंचम भाव एवं षष्ठम भाव इसके कारक भाव हैं।
—- यदि कोई और भी आपके साथ कमरे में रहता है तो अपना ब‌िछावन दरवाजे के नजदीक रखें।
—यदि भवन में वायव्य कोण उत्तर-पूर्व के ईशान कोण से नीचा हो तो भवन में वास्तु दोष होता है। इस दोष के कारण संतान के विवाह में बाधा उत्पन्न होती है।
—- विवाह में देरी हो रही है तो इस बात का ध्यान रखें कि घर में अंडरग्राउंड वाटर टैंक साउथ-वेस्ट कॉर्नर में न रखें। वास्तु के मुताबिक घर की साउथ-वेस्ट दिशा में अंडरग्राउंड वाटर टैंक होने से शादी में देरी हो सकती है।
—– यदि कोई विवाह योग्य युवक-युवती विवाह के लिए तैयार न हो, तो उसके कक्ष की उत्तर दिशा की ओर क्रिस्टल बॉल कांच की प्लेट अथवा प्याली में रखनी चाहिए। वास्तु शास्त्र के अनुसार ऐसा करने से वह विवाह के लिए मान जाता है।
—- यदि विवाह प्रस्ताव में व्यवधान आ रहे हों तो विवाह वार्ता के लिए घर आए अतिथियों को इस प्रकार बैठाएं कि उनका मुख घर में अंदर की ओर हो और उन्हें घर का दरवाजा दिखाई न दे। ऐसा करने से बात पक्की होने की संभावना बढ़ जाती है।
—- किसी भी घर के मध्य में  सीढियां होना भी विवाह में देरी का एक कारण है। इसलिए वास्तु के मुताबिक घर का मध्य हमेशा खाली रखना चाहिए।
PT. DAYANAND SHASTRI