वास्तु अनुसार कैसा होना चाहिए बच्चो का कमरा और उनका स्डडी रूम / अध्ययन कक्ष/ पढाई का कमरा ??

बच्चों के कमरे का प्रवेश द्वार उत्तर अथवा पूर्व दिशा मे होना चाहिए। खिड़की अथवा रोशनदान पूर्व मे रखना उत्तम है। पढ़ने की टेबल का मुख पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। पुस्तके ईशान कोण मे रखी जा सकती है। बच्चों का फेस पढ़ते समय उत्तर अथवा पूर्व दिशा मे होना चाहिए। एक छोटा सा पूजा स्थल अथवा मंदिर बच्चों के कमरे की ईशान दिशा मे बनाना उत्तम है। इस स्थान मे विद्या की अधिष्ठात्री देवी सरस्वती की मूर्ति अथवा तस्वीर लगाना शुभ है।

कमरे का ईशान कोण का क्षेत्र सदैव स्वच्छ रहना चाहिए और वहां पर किसी भी प्रकार का व्यर्थ का सामान, कूड़ा, कबाड़ा नहीं होना चाहिए। अलमारी, कपबोर्ड, पढ़ने का डेस्क और बुक शेल्फ व्यवस्थित ढंग से रखा जाना चाहिए। सोने का बिस्तर नैऋत्य कोण मे होना चाहिए। सोते समय सिर दक्षिण दिशा मे हो, तो बेहतर है। परंतु, बच्चे अपना सिर पूर्व दिशा मे भी रख कर सो सकते है। कमरे के मध्य मे भारी सामान न रखे। कमरे मे हरे रंग के हल्के शेड्स करवाना उत्तम है। इससे बच्चों मे बुद्धिमता की वृद्धि होती है। कमरे के मध्य का स्थान बच्चों के खेलने के लिए खाली रखे। बच्चों के कमरे का द्वार कभी भी सीढ़ियो अथवा शौचालय से सटा न हो, अन्यथा ऐसे परिवार के बच्चे मां-बाप के नियमानुसार अनुसरण नहीं करेंगे। बच्चों के कक्ष के ईशान कोण और ब्रह्म स्थान की ओर भी विशेष ध्यान दें कि वहां पर बेवजह का सामान एकत्रित न हो। यह क्षेत्र सदैव स्वच्छ और बेकार के सामान से मुक्त होना चाहिए।
♦ क्या आपके बच्चे का पढ़ाई-लिखाई मे मन नहीं लगता? 
वास्तुशास्त्री अनुसार हो सकता है आपके बच्चों के स्डडी रूम मे कहीं न कहीं से नकारात्मक ऊर्जा आ रही हो। पढ़ाई मे कॉनसन्ट्रेशन बढ़ाने, याददाश्त बढ़ाने के लिए इन साधारण वास्तु टिप्स को फॉलो करे। शायद आपकी चिंता दूर हो जाए…

स्टडी रूम यानी जीवन का अहम् हिस्सा जहाँ यूथ अपना अधिक से अधिक समय बिताते है। यदि यह आपको सूट न करे तो बड़ी गड़बड़ हो सकती है और आपका ध्यान पढाई से हट भी सकता है। 

♦ कैसा हो स्टडी टेबल : आपके बच्चों के स्डडी रूम मे स्टडी टेबल रेग्युलर शेप का होना चाहिए। यानी टेबल आयताकार, वर्गाकार या गोलाकार होना चाहिए। टेबल का आंकार आड़ा-तिरछा होगा तो बच्चा कॉनसन्ट्रेट नहीं कर पाएगा, कन्फ्यूज्ड रहेगा। टेबल के कोने कटे हुए नहीं होने चाहिए। टेबल  की हाईट आपकी हाईट के अनुसार ही हो। ताकि आपकी कमर न झुके। 

♦ स्टडी रूम: नॉर्थ, ईस्ट या नॉर्थ-ईस्ट मे ही होना चाहिए। स्टडी टेबल हमेशा लकड़ी की हो। लोहे का प्रयोग न करे। टेबल की सतह चिकनी हो, खुरदरी न हो। टेबल समतल हो, खुरदरी न हो। टेबल को कभी दीवार से अलग न रखे नहीं तो एकाग्रता मे बाधा आ सकती है। 

♦ टेबल की दिशा : आपके बच्चों के स्डडी रूम मे उत्तरी दिशा से आने वाली ऊर्जा सकारात्मक होती है। पढ़ते समय बच्चे का चेहरा उत्तर की ओर होना चाहिए। ऐसा करने से थकान नहीं होती और कॉनसन्ट्रेशन बना रहता है। इस दिशा को ब्लॉक न करे, घर के अंदर इस दिशा से एनर्जी को आने दे।

♦ सॉलिड बैक : जब आपका बच्चा पढ़ने के लिए बैठे तो उसकी पीठ के पीछे दीवार होनी चाहिए। आपके बच्चों के स्डडी रूम मे पीठ के पीछे कोई खिड़की या ओपनिंग आपको एनर्जी सपोर्ट तो देती है लेकिन कॉनसन्ट्रेशन भंग करती है।

♦ कोई बाधा न हो : पढ़ाई करते समय बच्चे के सामने से ऊर्जा के प्रवाह मे कोई बाधा नहीं पड़नी चाहिए। सामने करीब 7-8 फीट का स्पेस होना चाहिए। आपके बच्चों के स्डडी रूम मे स्टडी टेबल को दीवार से सटाकर नहीं रखना चाहिए। टेबल पर ही बड़ा-सा बुकशेल्फ न बनाएं।

♦ स्डडी रूम व्यवस्थित रखे :  आपके बच्चों से  कहे पुरानी किताबे, नोट्स, मेल्स, स्टेशनरी सभी स्टडी रूम से बाहर करे। रोज़ाना आपके बच्चों को स्टडी रूम को साफ करने की आदत डाल ले। स्टडी टेबल के सामने अपने इष्ट देवता, माता-पिता या किसी महान व्यक्ति की तस्वीर लगा सकते हैं, मगर फिल्म स्टार या बेहूदी फोटो न लगाएँ। 

♦ कलर : आपके बच्चो के स्डडी रूम मे लेमन यलो और वॉयलेट कलर मेमरी और कॉनसन्ट्रेशन बढ़ाने मे मददगार होते है। आपके बच्चों के स्डडी रूम की दीवारो और टेबल-कुर्सी के लिए इन रंगों का इस्तेमाल अच्छा रहेगा। कमरे का और स्टडी टेबल का रंग राशि के अनुसार हो। मेष और वृश्चिक सफेद व पिंक का प्रयोग करे। वृषभ और तुला सफेद-ग्रीन का इस्तेमाल करे। मिथुन और कन्या ग्रीन, सिंह ब्ल्यू, कर्क रेड एवं व्हाइट, धनु-मीन पीले-सुनहरे और मकर-कुंभ ब्ल्यू के सारे शेड्स का प्रयोग करे। 

विशेष : स्टडी रूम मे कभी भी गहरे रंग, काले रंग का प्रयोग न करे। पानी वाले शो पीस या पानी की तस्वीर जरूर लगाएँ। 
by Pandit Dayanand Shastri.