शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय :

 

यदि आप शनि देव की कृपा प्राप्त करना चाहते है तो आप यह छोटे-छोटे प्रयोग करे। इन प्रयोगो से शनि निश्चित ही आप पर प्रसन्न होगे और आपको मनोवांछित फल प्रदान करेगा।
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार शनि की टेढ़ी नजर यानि वक्र दृष्टि हर व्यक्ति के जीवन मे हलचल मचाती है। जहां शुभ ग्रह के प्रभाव से शनि दशा शुभ फल भी दे सकती है, लेकिन अशुभ ग्रहों के असर से शनि दशा के बुरे नतीजे भी दिखाई देते है। इसलिए शास्त्रों मे शनि दशा चाहे वह ढैय्या, महादशा सा साढ़े साती हो, के लिए कुछ मंत्र विशेष के जप का महत्व बताया गया है। 
शास्त्रो के मुताबिक शनिदेव का स्वभाव क्रूर है। लोक व्यवहार मे शनिदेव से जुड़ी आस्था का एक कारण ऐसा ही भय और संशय भी है कि शनि की टेढ़ी चाल और नजर से जीवन मे उथल-पुथल मच जाती है। इसलिए अक्सर यह देखा भी जाता है कि शनि की दशा ज्ञात होने पर व्यक्ति व्यर्थ परेशानियों से बचने के लिए शनि की शांति के उपाय अपनाते है।
असल मे, शनि के स्वभाव का दूसरा पहलू यह भी है कि शनि के शुभ प्रभाव से रंक भी राजा बन सकता है। शनि को तकदीर बदलने वाला भी माना गया है। इसलिए अगर सुख के दिनो मे भी शनि भक्ति की जाए तो उसके शुभ फल से सुख-समृद्धि बनी रहती है। शास्त्रो मे शनि की प्रसन्नता के लिए ऐसा ही एक मंत्र बताया गया है। इसके प्रभाव से घर-परिवार मे हमेशा खुशहाली बनी रहती है। वहीं जीवन का कठिन या तंगहाली का दौर भी आसानी से कट जाता है।
शनि अमावस्या के दिन शनि का पूजन विशेष फलदायी होता है। जिन जातक की कुंडली या राशियों पर सा़ढ़ेसाती व ढैया का प्रभाव है वे अच्छे फल प्राप्त करने के लिए शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव का विधिवत पूजन कर पर्याप्त लाभ उठा सकते है। 
» ढैया व साढ़ेसाती मे लाभ : 
शनि स्त्रोत, शनि मंत्र, शनि वज्रपिंजर कवच तथा महाकाल शनि मृत्युंजय स्त्रोत का पाठ करने से जिन जातको को शनि की साढ़ेसाती व ढैया चल रहा है, उन्हें मानसिक शांति, कवच की प्राप्ति तथा सुरक्षा के साथ भाग्य उन्नति का लाभ होता है। सामान्य जातक जिन्हे ढैया अथवा साढ़ेसाती नहीं है, वे शनि कृपा प्राप्ति के लिए अपंग आश्रम मे भोजन तथा चिकित्सालय मे रुग्णों को ब्रेड व बिस्किट बांट सकते है।
♦ कम से कम 9 शनिवार गरीबो को भोजन कराएं, भोजन मे शनिदेव के प्रिय भोज्य सामग्री रखे।
♦ घर के नौकरो, धोबी, ड्रायवर आदि से अच्छा व्यवहार रखे। क्योंकि शनि गरीबो का प्रतिनिधित्व करता है। गरीबो के खुश होने पर शनि देव स्वत: खुश हो जाते है।
♦ प्रति शनिवार शनि के निमित्त व्रत-उपवास करे।
♦ प्रति शनिवार शनि देव के लिए विशेष पूजा-अर्चना अवश्य कराएं।
♦ शुभ मुहूर्त देखकर शनि कवच धारण करे।
♦ सात मुखी रुद्राक्ष धारण करे।
♦ प्रति शनिवार आपके खाने तिल से बनी सामग्री अवश्य खाएं।
♦शनि का रत्न नीलम धारण करे। नीलम धारण करने से पूर्व किसी ज्योतिष विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य ले।
♦ शनि संबंधी दान या उपहार बिल्कुल ग्रहण ना करे।
♦ प्रतिदिन हनुमानजी की विशेष पूजा-अर्चना करे। हनुमानजी के भक्तो पर शनि बुरा प्रभाव नहीं डालता है।
♦ प्रतिदिन या हर शनिवार इष्टदेवता को काले या नीले रंग के फूल अवश्य चढ़ाएं।
♦ शनैश्चरी अमावस्या पर नदी मे स्नान कर शनि के निमित्त दान पुण्य करे।
♦ पुरुष परस्त्री और स्त्री परपुरुष का साथ तुरंत छोड़ दे अन्यथा शनि और क्रूर हो जाएगा और आपको उसके बहुत बुरे फल प्राप्त होगे।
♦ सारे अधार्मिक कार्य छोड़ दे।
♦ इस दिन पीपल के पेड़ पर सात प्रकार का अनाज चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक जलाएं। 
♦ तिल से बने पकवान, उड़द से बने पकवान गरीबो को दान करे। 
♦ उड़द दाल की खिचड़ी दरिद्रनारायण को दान करे। 
♦ अमावस्या की रात्रि मे 8 बादाम और 8 काजल की डिब्बी काले वस्त्र मे बांधकर संदूक मे रखे। 
♦ शनि यंत्र, शनि लॉकेट, काले घोड़े की नाल का छल्ला धारण करे। 
♦ इस दिन नीलम या कटैला रत्न धारण करे। जो फल प्रदान करता है। 
♦ काले रंग का श्वान इस दिन से पाले और उसकी सेवा करे।
♦शनि अमावस्या के दिन या रात्रि मे शनि चालीसा का पाठ, शनि मंत्रो का जाप एवं हनुमान चालीसा का पाठ करे। 
उपरोक्त सभी प्रयोग शनि को प्रसन्न करने वाले है और यह सहज ही किए जा सकते है। इन प्रयोगो से आप पर शनि की कृपा जरूर होगी और अशुभ समय दूर हो जाएगा।
उपरोक्त प्रयोग से  न केवल शनि दशा मे कष्टो और अकाल मृत्यु के भय से रक्षा करते है, बल्कि धन, विद्या, बल, स्वास्थ्य और साहस देते है। धार्मिक दृष्टि यह मंत्र व्यक्ति को मोक्ष देने वाले भी है। इन विशेष मे शनि कवच मंत्र और शनि का पौराणिक मंत्र और महामृत्युंजय मंत्र बहुत ही प्रभावी माने गऐ है। इन मंत्रों की भी अलग-अलग जप संख्या तय है। जानते है इन मंत्रो को –

♦ शनि का पौराणिक मंत्र :

 ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम्।
छायामार्तण्डसम्भूतं तं नमामि शनैश्चरम् ।।

 

by Pandit Dayanand Shastri.