जानिए क्या करें अमावस्या को–


हमारे ग्रंथों और ग्रह नक्षत्रों के अनुसार भारतीय महीने में हर महीने पूर्णिमा और अमावस्या आती है।आइये आज हम आपको बताते हैं की आप अमावस्या को क्या करें की आपका जीवन ख़ुशी और समृद्ध रहे

हर अमावस्या को घर के कोने कोने को अच्छी तरह से साफ करे, सभी प्रकार का कबाड़ निकाल कर बेच दे। इस दिन सुबह शाम घर के मंदिर और तुलसी पर दिया अवश्य ही जलाएं इससे घर से कलह और दरिद्रता दूर रहती है।अमावस्या पर तुलसी के पत्ते या बिल्व पत्र बिलकुल भी नहीं तोडऩा चाहिए। अमावस्या पर देवीदेवताओं को तुलसी के पत्ते और शिवलिंग पर बिल्व पत्र चढ़ाने के लिए उन्हें एक दिन पहले ही तोड़कर रख लें।

धन लाभ के लिए अमावस्या के दिन पीली त्रिकोण आकृति की पताका विष्णुमन्दिर में ऊँचाई वाले स्थान पर इस प्रकार लगाएँ कि वह लगातार लहराती रहे, तो आपका भाग्य शीघ्र ही चमक उठेगा। लगातार स्थाई लाभ हेतु यह ध्यान रहे की झंडा वहाँ लगा रहना चाहिए। उसे आप समय समय पर स्वयं बदल भी सकते है।हर अमावस्या को गहरे गड्ढे या कुएं में एक चम्मच दूध डालें इससे कार्योंमें बाधाओं का निवारण होता है। इसके अतिरिक्त अमावस्या को आजीवन जौ दूध में धोकर बहाएं, आपका भाग्य सदैव आपका साथ देगा।

अमावस्या के दिन शनि देव पर कड़वा तेल, काले उड़द, काले तिल, लोहा, कालाकपड़ा और नीला पुष्प चढ़ाकर शनि का पौराणिक मंत्र ऊँ नीलांजनसमाभासं रविपुत्रंयमाग्रजम। छायामार्तण्डसंभुतं नमामि शनैश्चरम।की एक माला का जाप करने से शनि का प्रकोप शांत होता है , एवं अन्य ग्रहों के अशुभ प्रभावों से भी छुटकारा मिलता है । हर अमावस्या को पीपल के पेड़ के नीचे कड़वे तेल का दिया जलाने से भी पितृ और देवता प्रसन्न होते हैं।प्रत्येक अमावस्या को गाय को पांच फल भी नियमपूर्वक खिलाने चाहिए, इससे भी घर में शुभता एवं हर्ष का वातावरण बना रहता है ।

अमावस्या के दिन किसी सरोवर पर गेहूं के आटे की गोलियां ले जाकर मछलियों को डालें। इस उपाय से पितरों के साथ ही देवीदेवताओं की कृपा भी प्राप्त होती है, धन सम्बन्धी सभी समस्याओं का निराकरण होता है।अमावस्या के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्यकर्मों से निवृत्त होकर पवित्र होकर जो व्यक्ति रोगी है उसके कपड़े से धागा निकालकर रूई के साथ मिलाकर उसकी बत्ती बनाएं। फिर एक मिट्टी का दीपक लेंकर उसमें घी भरकर, रूई और धागे की बत्ती लगाकर यह दीपक हनुमानजी के मंदिर में जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। इस उपाय से रोगी की तबियत जल्दी ही सुधरने लगती है। यह उपाय उसके बाद कम से कम 7 मंगलवार और शनिवार को भी नियमित रूप से करना चाहिए।

अमावस्या के दिन एक कागजी नींबू लेंकर शाम के समय उसके चार टुकड़े करके किसी भी चौराहे पर चुपचाप चारों दिशाओं में फेंक दें। इस उपाय से जल्दी ही बेरोजगारी की समस्या दूर हो जाती है।अमावस्या की रात्रि में 8 बादाम और 8 काजल की डिबिया काले कपडे में बांध कर सिंदूर में रखे, इससे शीघ्र ही आर्थिक समस्याओं का समाधान होता है ।

जानिए लाल किताब अनुसार शुभ ग्रह होने पर क्या रखें सावधानी

*सूर्य शुभ हो तो क्या न करें दान

जिनकी कुण्डली में सूर्य सिंह अथवा वृश्चिक राशि में बैठा है। ऐसे व्यक्ति के लिए लाल किताब कहता है कि इन्हें सूर्य से संबंधित वस्तुएं जैसे गेहूं, गुड़, तांबे की वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए। जो लोग इनका दान करते है उनका सूर्य मंदा हो जाता है और सूर्य से प्राप्त होने वाले शुभ फलों में कमी आती है। इससे नौकरी में अधिकारी से मतभेद होता है। सरकारी कार्यों में बाधा आती है। पिता एवं पैतृक संपत्ति के सुख में कमी आती है। जिनकी जन्मपत्री में सूर्य 7वें अथवा 8वें घर में बैठा है उन्हें सुबह एवं शाम के समय दान नहीं देना चाहिए। इससे धन की हानि होती है, आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

*चन्द्र शुभ हो तो दान में सावधानी

जिस व्यक्ति की कुण्डली में चन्द्रमा दूसरे अथवा चौथे भाव में बैठा होता है उसे माता से सुख मिलता है। सुखसुविधाओं में वृद्धि होती है तथा शारीरिक एवं मानसिक सुखशांति की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति चन्द्र से संबंधित वस्तु जैसे मोती, दूध, चीनी, चावल का दान करता है। उनका चन्द्रमा मंदा हो जाता है,
चन्द्र से संबंधित शुभ फलों में कमी आती है। जिनकी जन्मपत्री में चन्द्रमा छठे भाव में होता है उन्हें धर्मार्थ हैंडपंप नहीं लगाना चाहिए।

*मंगल शुभ हो तो मिठाई न करें दान

लाल किताब में मंगल शुभ वाले व्यक्ति के लिए मिठाई का दान करना वर्जित बताया गया है। इन्हें मसूर की दान, बेसन के लड्डू एवं लाल वस्त्रों का दान नहीं करना चाहिए।

*बुध शुभ हो तो दान में परहेज

बुध को बुआ, मौसी, बहन, व्यवसाय एवं बुद्धि का कारक कहा जाता है। बुध मजबूत वाला व्यक्ति बुध से संबंधित वस्तु जैसे मूंग की दाल, कलम, हरा वस्त्र, घड़ा दान करता है तो बुद्धि भ्रमित होती हैं। बुध से संबंधित रिश्तेदारों को कष्ट होता है।

*गुरू शुभ हो तो नए वस्त्र दान न करें

लाल किताब के अनुसार जिन व्यक्तियों की कुण्डली में गुरू सातवें घर में बैठा है उस व्यक्ति को नए वस्त्रों का दान नही करना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसा करता है उसे खुद ही वस्त्रों की कमी हो जाती है। गुरू नवम भाव में, सप्तम भाव में, चौथे अथवा प्रथम भाव में शुभ स्थिति में बैठा हो तो गुरू से संबंधित वस्तु जैसे हल्दी, सोना, केसर एवं पीली वस्तुओं का दान नहीं करना चाहिए। इससे आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

*शनि शुभ है तो भी बरतनी होगी सावधानी

शनि दोष से मुक्ति के लिए ज्योतिषशास्त्र में तेल, तिल, लोहा काले वस्त्रों का दान करने के लिए कहा जाता है। इसके विपरीत लाल किताब में कहा गया है कि कुण्डली में अगर शनि तुला राशि, मकर या कुंभ में हो तो व्यक्ति को इन वस्तुओंका दान नहीं करना चाहिए। इससे शनि मंदा हो जाता है, यानी शनि के शुभ फलों में कमी आ जाती है। व्यक्ति को लाभ के बदले नुकसान उठाना पड़ता है।

*शुक्र शुभ हो तो श्रृंगार की वस्तुएं न करें दान

शुक्र को भौतिक सुखसुविधा प्रदान करने वाला ग्रह कहा जाता है। जिनकी कुण्डली में शुक्र दूसरे अथवा सातवें घर में हो, वृष अथवा तुला राशि में बैठा उन्हें रेडिमेड वस्त्र का दान नहीं करना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को श्रृंगार की वस्तुओं का भी दान नहीं करना चाहिए

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जानिए की केसे यह साधारण उपाय करेगा आपकी आर्थिक समस्या को दूर

मिट्टी के दो घड़े ले। एक घडे़ में सवा किलो हरी मूंग की दाल व दूसरे घडे़ में सवा किलो नमक भर दे। इन दोनों घड़ों को घर में रख दें। यह उपाय बुधवार को करे। धन की वृद्धि होने लगेगी। पके हुए मिट्टी के घड़े को लाल रंग से रंगकर उसके मुख पर लाल रंग का पचरंगी नाड़ा बांधकर जटा वाले नारियल को उसके मुख पर रखकर नदी के जल में प्रवाहित कर दे। सुख व समृद्धि की प्राप्ति होगी। यह उपाय बुधवार को करें। मिट्टी का एक छोटा सा कलश लें। इसमें कुछ रूपये व सिक्के रखकर व सोने और चांदी का छोटा सा टुकड़ा डालकर लाल कपड़े से मुंह बांधकर अपने घर के उत्तर व पश्चिम दिशा वाले कोण में रखें। यह उपाय आमदनी में वृद्धि करायेगा। यदि ये टोटका दुकान पर किया जाए तो दुकान चल निकलेगी अर्थात् पैसे की आवकजावक होने लगेगी।

आइये जाने गुरु और राहु ग्रह का प्रभाव और लाभ हानि

प्रिय पाठकों,
गुरुराहु की युति या इनका दृष्टि संबंध इंसान के विवेक को नष्ट कर देता है। यही कारण रावण के सर्वनाश का रहा।यदि राहु बहुत शक्तिशाली नहीं हुए परन्तु गुरू से युति है तो इससे कुछ हीन स्थिति नजर में आती है। इसमें अधीनस्थ अपने अधिकारी का मान नहीं करते। गुरूशिष्य में विवाद मिलते है।शोध सामग्री की चोरी या उसके प्रयोग के उदाहरण मिलते है, धोखाफरेब यहां खूब देखने को मिलेगा परन्तु राहु और गुरू युति में यदि गुरू बलवान हुए तो गुरू अत्यधिक समर्थ सिद्ध होते है और शिष्यों को मार्गदर्शन देकर उनसे बहुत बडे़ कार्य या शोध करवाने में समर्थ हो जाते है। शिष्य भी यदि कोई ऎसा अनुसंधान करते है जिनके अन्तर्गत गुरू के द्वारा दिये गये सिद्धान्तों में ही शोधन सम्भव हो जाए तो वे गुरू की आज्ञा लेते है या गुरू के आशीर्वाद से ऎसा करते है। यह सर्वश्रेष्ठ स्थिति है और मेरा मानना है कि ऎसी स्थिति में उसे गुरू चाण्डाल योग नहीं कहा जाना चाहिए बल्कि किसी अन्य योग का नाम दिया जा सकता है परन्तु उस सीमा रेखा को पहचानना बहुत कठिन कार्य है जब गुरू चाण्डाल योग में राहु का प्रभाव कम हो जाता है और गुरू का प्रभाव बढ़ने लगता है। राहु अत्यन्त शक्तिशाली है और इनका नैसर्गिक बल सर्वाधिक है तथा बहुत कम प्रतिशत में गुरू का प्रभाव राहु के प्रभाव को कम कर पाता है। इस योग का सर्वाधिक असर उन मामलों में देखा जा सकता है जब दो अन्य भावों में बैठे हुए राहु और गुरू एक दूसरे पर प्रभाव डालते है।अशुभता का नियंत्रणगुरु चांडाल योग के जातक के जीवन पर जो भी दुष्प्रभाव पड़ रहा हो उसे नियंत्रित करने के लिए जातक को किसी योग्य एवम् अनुभवी ब्राह्मण से चर्चा कर ज्योतिष संबंधी उपाय करने चाहिए।

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जानिए आपकी जन्मकुंडली के लग्न अनुसार की कैसे विभिन्न धातु के बर्तनों को प्रयोग कर विभिन्न प्रकार के रोगों से बचाव और उनसे मुक्ति प्राप्त कर सकते है:-
*मेष, सिँह, वृश्चिक लग्न के व्यक्ति
यदि भोजन के लिए ताँबे के बर्तनों का प्रयोग करे तो जहाँ एक ओर ये उनके पित्त को निर्दोष रख, गुर्दे का रोग, ह्रदय दौर्बल्य, मेद रोग, रक्त व्याधि, यक्ष्मा, अर्शभगंदर इत्यादि किसी प्रकार के पुराने चले आ रहे रोग के लिए रामबाण औषधी का काम करेगा, वहीं इसके नियमित प्रयोग से नया रोग भी उनके नजदीक फटकने से पहले सौ बार सोचेगा।

*मिथुन,कन्या, धनु और मीन लग्न के व्यक्तियों द्वारा

लोह (स्टील) पात्रों का अधिक मात्रा में प्रयोग विस्मृ्ति (यादद्दाश्त में कमी), अनिन्द्रा, गठिया, जोडों का दर्द, मानसिक तनाव, अमलता, आन्त्रदोष इत्यादि किसी रोग का कारण बनता है। इनके लिए भोजन में काँसे के बर्तनों को प्रयुक्त करना शारीरिक रूप से सदैव हितकारी रहेगा।

*वृ्ष, कर्क, तुला लग्न के व्यक्तियों

सदैव भोजन के लिए चाँदी और पीतल (मिश्र धातु) दोनों प्रकार के बर्तनों का संयुक्त रूप से प्रयोग करना चाहिए।लोह पात्रों का अधिकाधिक उपयोग इनके लिए नेत्र पीडा, स्वाद ग्रन्थियाँ, कफजन्य रोग, असन्तुलित रक्त प्रवाह, कर्णनाद, शिरोव्यथा, श्वासरोग इत्यादि किसी रोगव्याधी का कारण बनता है।
* मकर लग्न के व्यक्ति
मकर लग्न के लिए अन्य किसी भी धातु के सहित प्रतिदिन लकडी के पात्र का प्रयोग करना भी इन्हे वायु दोष, चर्म रोग, विचार शक्ति की उर्वरता में कमी, एवं तिल्ली के विकारों से मुक्ति में सहायक और भविष्य में उनसे बचाव हेतु रामबाण इलाज है।
* कुम्भ लग्न के व्यक्ति
कुम्भ लग्न के व्यक्ति के लिए तो लोहा (स्टील) ही सर्वोतम धातु है ।इसके साथ ही इस लग्न के व्यक्तियों को यदाकदा मिट्टी के पात्र में केवडा मिश्रित जलका भी सेवन अवश्य करते रहना चाहिए।

by  Pandit Dayanand Shastri.