Shree Shani Jayanti Puja.

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*जनिये की कैसे मनाये शनि जयंती पर्व??
इस पर्व का लाभ लेने के लिए सर्वप्रथम स्नानादि से शुद्ध होकर एक लकड़ी के पाट पर काला कपड़ा बिछाकर उस पर शनिजी की प्रतिमा या फोटो या एक सुपारी रख कर उसके दोनों ओर शुद्ध घी व तेल का दीपक जलाकर धूप जलाएँ। इस शनि स्वरूप के प्रतीक को जल, दुग्ध, पंचामृत, घी, इनसे स्नान कराकर उनको इमरती, तेल में तली वस्तुओं का नैवेद्य लगाएँ। नैवेद्य के पूर्व उन पर अबिल, गुलाल, सिंदूर, कुंकुम एवं काजल लगाकर नीले या काले फूल अर्पित करें। नैवेद्य अर्पण करके फल व ऋतु फल के संग श्रीफल अर्पित करें।
इस पंचोपचार पूजन के पश्चात इस मंत्र का जप कम से कम एक माला से करें–
  || “ॐ प्रां प्रीं प्रौ स. शनये नमः” ||
माला पूर्ण करके शनि देवता को समर्पण करें। पश्चात आरती करके उनको साष्टांग प्रणाम करें।
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*शनि की शांति के ऐसे कई उपाय हैं, जिनके द्वारा मनुष्य के सारे कष्ट दूर होते है। निम्नानुसार उपाय करने पर पीड़ित व्यक्ति के कष्ट दूर होकर उसे शुभ फलों की प्राप्ति होती है। शनि ग्रह किसी कार्य को देर से जरूर करवाते है, परंतु यह भी सत्य है कि वह कार्य अत्यंत सफल होते है।
  • शनि जयंती के दिन तेल में बनी खाद्य सामग्री का दान गाय, कुत्ता व भिखारी को करें।
  •   इस दिन विकलांग व वृद्ध व्यक्तियों की सेवा अवश्य करें।
  • शनिजी का जन्म दोपहर या सायंकाल में है। विद्वानों में इसको लेकर मतभेद है। अतः दोपहर व सायंकाल में यथा सम्भव मौन रखें।
  • शनि महाराज व सूर्य-मंगल से शत्रुतापूर्ण संबंध होने के कारण इस दिन सूर्य व मंगल की पूजा कम करनी चाहिए।
  • जब कभी शनिजी की प्रतिमा को देखें, उस समय सावधानी रखें।। कभी भी शनि देव की आँखों को नहीं देखें।
  • अपने मता पिता का आदर-सम्मान करेंशनि के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए तिल का तेल एक कटोरी में लेकर उसमें अपना मुंह देखकर शनि मंदिर में रख आएं। तिल के तेल से शनि विशेष प्रसन्न रहते हैं।
  • काली चीजें जैसे काले चने, काले तिल, उड़द की दाल, काले कपड़े आदि का दान नि:स्वार्थ मन से किसी गरीब को करें, शनिदेव प्रसन्न होंगे।
  • नित्य प्रतिदिन भगवान भोलेनाथ पर काले तिल व कच्चा दूध चढ़ाना चाहिए। यदि पीपल वृक्ष के नीचे शिवलिंग हो तो अति उत्तम होता है। सुंदरकांड का पाठ सर्वश्रेष्ठ फल प्रदान करता है। ना तो नीलम पहने, ना ही लोहे का बना छल्ला पहने। इसके पहनने से शनि का कुप्रभाव और बढ़ जाता है।
  • पीपल की जड़ में केसर, चंदन, चावल, फूल मिला पवित्र जल अर्पित करें। तिल का तेल का दीपक जलाएं और पूजा करें।
  • शनि को मनाने का सबसे अच्छा उपाय है कि हर मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें। हनुमान जी के दर्शन और उनकी भक्ति करने से शनि के सभी दोष समाप्त हो जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार शनि किसी भी परिस्थिति में हनुमान जी के भक्तों को परेशान नहीं करते हैं।
♦ इसका भी रखें विशेष ध्यान –
जब कोई भी वस्त्र जो बुनकर  बनाया जाता है। उसके धागों पर बुध अपना अधिपत्य रखता है तथा जब वस्त्र बनकर पूरा हो जाता है तो वो शुक्र की श्रेणी में आ जाता है।
शास्त्र अनुसार वस्त्र को तैयार करने के लिए मंगल रूपी कैंची से उसे काटा जाता है। उसे नाप देकर चन्द्र रूपी धागे से सिला जाता है। जब वह पहनने योग्य हो जाता है तो वो शनि का रूप धारण कर लेता है परंतु जो वस्त्र नए तथा बिना धुले हुए अर्थात कोरे हों उन्हें पहनकर हम शनि, मंगल , बुध शुक्र और शनि से संबंधित समस्याओं को अपने ऊपर ले लेते हैं क्योंकि कपड़ों को सिलते समय सुई का इस्तेमाल होता है जो शनि के समान हैं इसी कारण कपड़े जब तक धुलते नहीं हैं वो कीलक की श्रेणी में आ जाते हैं। इसी कारण नए कपड़ों पर  बिना धुले कपड़ों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ते हैं। अतः नए वस्त्र धारण से पूर्व सावधानी रखें, उन्हेँ धोकर ही धारण करें।
 पण्डित “विशाल” दयानन्द शास्त्री