जानिए सावन महीना क्यों हैं विशेष महिलाओं के लिए..??

जानिए सावन महीना क्यों हैं विशेष महिलाओं के लिए..??
क्या रखें सावधानी और क्या करें तैयारी..??

जैसा कि आप सभी जानते हैं कि सावन का महीना शुरू हो गया है और इस महीने में शिवलिंग की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस महीने में भगवान शंकर की पूजा करने और उनके लिए व्रत रखने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।लेकिन शिव पूजन में चौंकाने वाली बात यह है कि विवाहित हों या अविवाहित, महिलाओं के लिए शिवलिंग छूना पूरी तरह वर्जित है।

इस सावन में भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए पार्थिव शिवलिंग बनाकर पूजन, बिल्वार्चन, अक्षतार्चन, रुद्राभिषेक व महामृत्युंजय अनुष्ठान सामथ्र्य अनुसार करने से भगवान आशुतोष प्रसन्न हो धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष का आशीर्वाद देते हैं। इस मास में दूध, घी, धेनु, स्वर्ण दान करने से हर के साथ हरि भी प्रसन्न होते हैं। सावन में भगवान शिव के निमित्त मास पर्यंत नित्य बिल्व पत्रार्पण, नैमेत्तिक पार्थी वार्चन का विधान है।

सावन के महीने में भगवान शंकर की पूजा करने और उनके लिए व्रत रखने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। लेकिन शिव पूजन में चौंकाने वाली बात यह है कि विवाहित हों या अविवाहित, महिलाओं के लिए शिवलिंग छूना पूरी तरह वर्जित है।

इस वर्ष 10 जुलाई 2017 (सोमवार) से सावन का महीना शुरू हो चूका है और महीने की शुरूआत के दिन सोमवार और सावन माह की समाप्ति का दिन भी सोमवार ही है। इस वर्ष कई सालों बाद ऐसा संयोग बन रहा है जब सावन माह सोमवार से शुरू होकर सोमवार को ही खत्म होगा। ज्योतिष विधा के मुताबिक ऐसा संयोग सालों में एक बार बनता है। इस संयोग में भक्तों को भगवान शिवजी की आराधना करने पर विशेष फल की प्राप्ति होती है। सावन के पहले दिन ही शहर के सभी शिव मंदिरों में भगवान शिव का जलाभिषेक करने भक्तों की भारी भीड़ दिखाई देगी। वहीं आखिरी सोमवार को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाएगा। अमूमन सावन माह में 4 सोमवार पड़ते हैं लेकिन इस बार पांच सोमवार का पड़ना भी शुभ संकेत माना जा रहा है।

ज्योतिष विशेषज्ञों की माने तो शिवलिंग की पूजा से जुड़ी एक मान्यता यह है कि महिलाओं को खासतौर से कुंवारी कन्याओं को शिवलिंग को हाथ नहीं लगाना चाहिए। महिलाओं को शिवलिंग के करीब जाने की आज्ञा नहीं होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवान शिव बेहद गंभीर तपस्या में लीन रहते हैं। देवों के देव महादेव की तंद्रा भंग न हो जाए इसलिए महिलाओं को शिवलिंग की पूजा न करने के लिए कहा गया है। जब शिव की तंद्रा भंग होती है तो वे क्रोधित हो जाते हैं।

इसके अलावा महिलाओं का शिवलिंग को छूकर पूजा करना मां पार्वती को भी पसंद नहीं है। मां पार्वती इससे नाराज हो सकती हैं और पूजा करने वाली महिलाओं पर इस तरह की गई पूजा का विपरीत असर हो सकता है। ऐसी मान्यता भी है कि लिंगम एक साथ योनि जो देवी शक्ति का प्रतीक है एवं महिला की रचनात्मक ऊर्जा है का प्रतिनिधित्व करता है।
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सावन/श्रवण माह में स्त्रियां/महिलाएं/कन्यायें रखें विशेष सावधानी, शिव पूजन में—

सावन का महीना हो और महिलाओं की बात न हो यह अटपटा लगता है। सावन में महिलाएं विशेष तौर पर साज-श्रंगार करती हैं।सावन में सुहागिन महिलाएं साज-श्रृंगार में कोई कसर नहीं छोड़ती हैं। सावन महीना शुरू होते ही सुहागिन महिलाओं पर सावन का रंग चढ़ना शुरू हो गया है। सावन महीने में महिलाओं के लिए हरे रंग का विशेष महत्व होता है। लिहाजा सावन महोत्सव के जरिये महिलायें हरे रंग का परिधान और श्रंगार करना शुभ मानती हैं। सावन का महीना आते ही चूड़ियों की बिक्री बढ़ जाती है। खासतौर पर हरे रंग की चूड़ियों की मांग सबसे ज्यादा रहती है। मेहंदी हार्मोन को तो प्रभावित करती ही है साथ की रक्त संचार (ब्लड प्रेशर) को भी नियंत्रण रखती है। मेहंदी दिमाग को शांत और तेज भी बनाता है।सावन के महीने में हरे रंग का वस्त्र धारण करने से सौभाग्य में वृद्घि होती है और पति-पत्नी के बीच स्नेह बढ़ता है।हरा रंग उर्वरा का प्रतीक माना जाता है। सावन के महीने में प्रकृति में हुए बदलाव से हार्मोन्स में भी बदलाव होते हैं जिसका प्रभाव शरीर और मन पर पड़ता जो स्त्री पुरुषों में काम भावना को बढ़ाता है।

सावन का महीना प्रकृति के सौन्दर्य का महीना होता है। शास्त्रों में महिलाओं को भी प्रकृति का रूप माना गया है। इस मौसम में बारसात की बूंदों प्रकृति खिल उठती है हर तरफ हरियाली छा जाती है। ऐसे में प्रकृति से एकाकार होने के लिए महिलाएं भी मेंहदी लगाती हैं। हरे वस्त्र और हरी चूड़ियां पहनती हैं। प्रचलित मान्यता हैं की जिसकी मेहंदी जितनी रंग लाती है, उसको उतना ही अपने पति और ससुराल का प्रेम मिलता है।

हरा रंग बुध से प्रभावित होता है। बुध एक नपुंसक ग्रह है। इसलिए बुध से प्रभावित होने के कारण हरा रंग काम भावना को नियंत्रित करने का काम करता है। सावन में मेंहदी लगाने का वैज्ञानिक कारण भी यही माना जाता है।
सावन के महीने में कई प्रकार की बीमारियां फैलने लगती हैं। आयुर्वेद में हरा रंग कई रोगों में कारगर माना गया है। यही कारण है कि सावन में महीलाएं स्वास्थ्य की रक्षा के लिए मेंहदी लगाती हैं और हरे रंग के वस्त्र और चूड़ियां पहनती हैं। मेहंदी की सोंधी खुशबू से लड़की का घर-आंगन तो महकता ही है, लड़की की सुंदरता में भी चार चांद लग जाते है। इसलिए कहा भी जाता है कि मेहंदी के बिना दुल्हन अधूरी होती है। आखिर मेहंदी सजने की वस्तु है तो महिलायें सावन में इससे अलग नहीं रह पातीं। आखिर सजना जो है सजना के लिए।

सावन के महीने में महिलाएं और कुंवारी कन्याएं भी भगवान शिवजी की पूजा करती हैं। लेकिन शिवजी की पूजा में महिलाओं और कन्याओं को कुछ सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है। कहा जाता है कि भगवान शिवजी की पूजा करते समय कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। अगर शिवजी की पूजा ठीक तरीके से नहीं की जाती है तो भगवान शिवजी गुस्सा हो जाते हैं।

इस वर्ष 2017 के श्रावण महीने में गौरी-शंकर की पूजा करने की परंपरा है। हर सोमवार को सोमवारी व्रत अलावा नागपंचमी, मंगलागौरी व्रत तथा रक्षाबंधन भी है। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की इस वर्ष 10 अगस्त 2017 (गुरूवार )को कजली तीज का पर्व मनाया जायेगा । नए वर-वधू भी अपने सुखी वैवाहिक जीवन के लिए शिव-पार्वती की पूजा करते हैं।

सावन में भगवान शिवजी को खुश करने के लिए कई तरीके अपनाए जाते हैं। यदि किसी को विवाह में कुछ परेशानी आ रही है तो सावन के महीने में रोज शिवलिंग पर दूध में केजर मिलाकर चढ़ाएं। ज्योतिषियों के मुताबिक ऐसा करने से विवाह के योग जल्दी बनते हैं। सावन के महीने में बैल का हरा चारा खिलाना भी अच्छा माना जाता है। कहा जाता है कि इस महीने में बैल को खाना खिलाने से घर में सुख-समृद्धि आती है और मन शांत रहता है।

सावन के महीने में घर में शिवलिंग की स्थापना करके उसकी पूजा की जाती है और भगवान शिवजी के मंत्रों का 108 बार जाप करें। कहा जाता है कि ऐसा करने से भगवान शिवजी खुश होते हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की सावन के महीने में हर सोमवार पानी में दूध और काले तिल डालकर शिवलिंग का अभिषेक करने से कई तरह की बीमारियां दूर होती हैं। सावन के महीने में हर सोमवार को किसी नदी और तालाब में आटे की रोटियों को मछलियों को खिलाने को भी शुभ माना जाता है।
सावन के महीने में व्रत रखने से कन्याओं को अच्छा पति मिलता है। लेकिन शिवलिंग की पूजा करते समय कन्याओं को शिवलिंग को न छूने की सलाह दी जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार महिलाओं को शिवलिंग छूने की इजाजत नहीं होती। कहा जाता है कि शिवजी तपस्या में लीन रहते हैं और किसी महिला के शिवलिंग को छूने से उनकी तपस्या भंग हो जाती है। यही कारण है कि महिलाओं को शिवलिंग छूने से मना किया जाता है।

सावन के इस पावन और पवित्र माह में सुहागन स्त्रियों के लिए कई त्योहार आते हैं जिनमें कज्जली तीज, हरियाली तीज शामिल हैं। इन त्योहारों में हरे वस्त्र, हरी चूड़ियां और मेंहदी लगाने के नियम हैं। श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन श्रावणी तीज, हरियाली तीज मनायी जाती है इसे मधुस्रवा तृतीय या छोटी तीज भी कहा जाता है| यह त्यौहार खासतौर पर महिलाओं का त्यौहार है| तीज का आगमन वर्षा ऋतु के आगमन के साथ ही आरंभ हो जाता है| हरियाली तीज में महिलाएं व्रत रखती हैं इस व्रत को अविवाहित कन्याएं योग्य वर को पाने के लिए करती हैं तथा विवाहित महिलाएं अपने सुखी दांपत्य की चाहत के लिए करती हैं| ज्योतिषाचार्य पंडित दयानन्द शास्त्री ने बताया की सावन के महीने में हरे रंग का वस्त्र धारण करने से सौभाग्य में वृद्घि होती है और पति-पत्नी के बीच स्नेह बढ़ता है।हरा रंग उर्वरा का प्रतीक माना जाता है। सावन के महीने में प्रकृति में हुए बदलाव से हार्मोन्स में भी बदलाव होते हैं जिसका प्रभाव शरीर और मन पर पड़ता जो स्त्री पुरुषों में काम भावना को बढ़ाता है।

भगवान शिव और पार्वती के पुर्नमिलाप के उपलक्ष्य में मनाए जाने वाले इस त्योहार के बारे में मान्यता है कि मां पार्वती ने 107 जन्म लिए थे भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए। अंततः मां पार्वती के कठोर तप और उनके 108वें जन्म में भगवान ने पार्वती जी को अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। तभी से ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से मां पार्वती प्रसन्न होकर पतियों को दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती हैं।

अपने सुखी दांपत्य जीवन की कामना के लिये स्त्रियां यह व्रत किया करती हैं| इस दिन व्रत रखकर भगवान शंकर-पार्वती की बालू से मूर्ति बनाकर षोडशोपचार पूजन किया जाता है जो रात्रि भर चलता है| सुंदर वस्त्र धारण किये जाते है तथा कदली स्तम्भों से घर को सजाया जाता है| इसके बाद मंगल गीतों से रात्रि जागरण किया जाता है| इस व्रत को करने वालि स्त्रियों को पार्वती के समान सुख प्राप्त होता है|

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जानिये सावन के महीने में शिवलिंग पर दूछ चढ़ाने का महत्व—-

सावन का महीना शुरू हो गया है। पूरे सावन के महीने में भगवान शिव जी का अभिषेक किया जाता है। सावन के महीने में शिवलिंग पर दूध चढ़ाने का विशेष महत्व है लेकिन क्या आप जानते है कि लोग सावन के महीने में शिलविंग पर दूध क्यों चढ़ाते हैं।

हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि शिवलिंग में दूध चढ़ाने से पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। घर में सुख शान्ति और वैभव आता है। भगवान शिव तारक ब्रम्ह है जो सभी का कल्याण करने वाले है इसलिए शिवलिंग पर दूध से अभिषेक किया जाता है। विज्ञान की मानें तो बारिश के समय जानवर हरी घास पत्ते खाते है जिसमे बहुतायत में जीवाणुओं की मात्रा पाई जाती है। इसलिए बारिश के समय दूध प्रदूषित हो जाता है इसलिए इस ऋतु में दूध का प्रयोग वर्जित माना गया है। ऐसा माना जाता है कि हमारी मान्यताएं विज्ञान को समझ कर ही बनाई गईं थीं।