क्या आपको पता है की आपके घर/ दुकान/ फेक्ट्री में नोकर/ कर्मचारी, वहां लगी बंद घड़ियो के कारण नहीं रुकते हैं ??

वेदिक वास्तु शास्त्र के अनुसार बंद उपकरणों को घर में नहीं रखना चाहिये क्योंकि बंद व खराब उपकरणों के द्वारा गृहस्वामी पर अनेक प्रकार की आपत्तियां आ जाती है। घरेलू उपकरणों के बंद होने पर गृहस्वामी पर अनेक प्रकार की चिंता बनी रहती है।
इसके साथ-साथ घर के अंदर दीवार या हाथ की घड़ियां बंद पडी हो तो गृहस्वामी को घरेलू नौकरों के द्वारा अनेक प्रकार की क्षति करवाती हैं। फलस्वरूप गृहस्वामी को घरेलू काम काज के लिये नौकर या तो मिलते ही नहीं है या मिलते है तो गृहस्वामी पर हमेशा सवार रहते हैं। अगर कुछ कहा जाय तो घर का काम काज छोडकर चलने को तत्पर रहते हैं, इसीलिये घर / दुकान/ फेक्ट्री के अंदर बंद घड़ियाँ नहीं होनी चाहिये।
यह अति आवश्यक है कि घर की पुरानी बंद घड़ियोंं को हंमेशा घर से अलग ही रखा जाये। इसके साथ-साथ यह भी ध्यान रखा जाय कि किसी भी शयन कक्ष की घडी बंद नहीं होनी चाहिये क्योंकि शयन कक्ष की बंद घड़ियाँ उस गृहस्वामी को व्यर्थ चिंताग्रस्त करेंगी व उसके स्वास्थ्य में गिरावट करेंगी।
ध्यान दीजिये—
वास्तुविद पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार यदि घडी को उतार करके हम अपने बिस्तर में तकिये के नीचे रखते हैं तो बीमारी /रोग/ व्यर्थ चिंता होने की संभावनाये रहती हैं अत: घडी व धनराशि कभी भी तकिये के नीचे नहीं रखना चाहिये क्योंकि इससे नींद नहीं आती तथा बेचैनी होने लगती है। वैसे तो ड्रेसिंग टेबल, टी.वी. आदि होने से भी स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पडता है। अगर जगह की कमी हो तो उनको सिर के पीछे वाली साईड पर रखा जा सकता है। सामने या दांई तरफ डे्रसिंग टेबल लगना निषेध माना गया है।
घर में पडी बंद घड़ियाँ गृहस्वामी को अनेक प्रकार की आर्थिक तथा मानसिक परेशानी देती हैं। व्यर्थ की चिंता, भागदौड व घर के नौकरों से वादविवाद घर की बंद घडीयां ही कराती हैं जिससे घर के नौकरों द्वारा गृहस्वामी के अनेक प्रकार की कुचर्चाओ के मामले प्रकाश में आते हैं।
इसीलिये यह अति आवश्यक है कि बन्द घडी न तो दीवार पर लगानी चाहिये, न ही शयनकक्ष में तकिये आदि के नीचे रखनी चाहिये क्योंकि बंद घडीयां गृहस्वामी के मान सम्मान में कमी कराने में सहायक होती है।
इसीलिये यदि हम घरेलू पुराने उपकरणों व बन्द घडीयों को यदि घर से अलग रखें तो गृहस्वामी का मान सम्मान निरंतर बढेंगा। सुख, वैभव और समृद्धि में निरंतर बढ़ोत्तरी होती रहेगी।
। शुभम् भवतु ।  कल्याण हो।
by Pandit Dayanand Shastri