वास्तु और मनी प्लांट का प्रभाव

ऎसी मान्यता है कि जिसके घर मे मनी प्लांट का पौधा लगा होता है उसके घर मे न केवल सुख समृद्धि मे इजाफा होता है बल्कि घर मे धन का भी आगमन होता है। इसी वजह से कुछ लोग घरो मे मनी प्लांट का पौधा लगाते है | लेकिन कई बार मनी प्लांट लगाने के बावजूद भी धनागमन मे कई अंतर नहीं होता बल्कि और आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। घर मे मनी प्लांट लगाने पर सुख-समृद्धि मे होने के साथ धन का आगमन बढ़ता है। इसी के चलते लोग अपने घरो में यह पौधा लगाते है। 

मनीप्लांट दक्षिणपूर्व एशिया मूल (मलेशिया, इण्डोनेशिया) का लता रूप मे पसरने वाला पौधा है। इसकी पत्तियाँ सदा हरी रहतीं है। ये तने पर एकान्तर क्रम मे लगी होती है और हृदय जैसी आकृति वाली होती है। वैसे तो घर मे रखने के लिए आपको पॉम लीव्स, बोनसाई जैसे कई इंडोर प्लांट मिल जाएँगे, लेकिन कम खर्च और अच्छी ग्रोथ के कारण जो रंग मनी प्लांट आपके इंटीरियर मे भरता है, वह किसी अन्य इंडोर प्लांट से संभव नहीं। 

मनी प्लांट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि घर हो या आँगन यह प्लांट कहीं भी आसानी से लग जाता है। साथ ही यह केवल पानी मे भी लगाया जा सकता है और इसके रखरखाव के लिए भी ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है। इसे घर के अंदर व बाहर दोनो जगह ही रखा जा सकता है। जिस कोने मे यह होता है उसकी ओर बरबस ही निगाहे चली जाती है। आप चाहे तो इसकी इन सुनहरी पत्तियों को काँट-छाँट कर इसे और भी आकर्षक बना सकते है।  वास्तु के अनुसार, यदि सही दिशा और सही जगह मे मनी प्लांट का पौधा नहीं लगाया गया तो धनलाभ के बजाय हानि का सामना करना पड़ता है। 

लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार यह पौधा घर मे उचित दिशा मे नहीं लगाया गया है तो आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। वास्तु शास्त्रीयो का मानना है कि मनी प्लांट के पौधे के घर मे लगाने के लिए आग्नेय दिशा सबसे उचित दिशा है। इस दिशा मे यह पौधा लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का भी लाभ मिलता है।

मनी प्लांट को आग्नेय यानि दक्षिण-पूर्व दिशा मे लगाने का कारण ये है इस दिशा के देवता गणेशजी है जबकि प्रतिनिधि शुक्र है। गणेश जी अमंगल का नाश करने वाले है जबकि शुक्र सुख-समृद्धि लाने वाले। यही नहीं बल्कि बेल और लता का कारण शुक्र को माना गया है। इसलिए मनी प्लांट को आग्नेय दिशा मे लगाना उचित माना गया है। मनी प्लांट को कभी भी ईशान यानि उत्तर पूर्व दिशा मे नहीं लगाना चाहिए, यह दिशा इसके लिए सबसे नकारात्मक मानी गई है। क्योंकि ईशान दिशा का प्रतिनिधि देवगुरू बृहस्पति को माना गया है। और शुक्र तथा बृहस्पति मे शत्रुवत संबंध होता है। इसलिए शुक्र से संबंधित यह पौधा ईशान दिशा मे होने पर नुकसान होता है। हालांकी इस दिशा मे तुलसी का लगाया जा सकता है।

♦ आइये जाने कहाँ लगाए मनी प्लांट तो होगा धनलाभ :

वास्तु शास्त्र के अनुसार हर पौधे के लिए एक दिशा निर्धारित होती है। यदि पौधे को उचित दिशा मे लगाया गया तो वह सकारात्मक प्रभाव डालता है वहीँ, यदि उसके उस पौधे का गलत स्थिति मे वृक्षारोपण किया गया तो वह नकारात्मक प्रभाव डालता है जिससे फायदा होने की बजाय नुकसान होने लगता है। 

वास्तु विज्ञान मे मनी प्लांट का पौधा लगाने के लिए आग्नेय दिशा यानी दक्षिण-पूर्व को उत्तम माना गया है। क्योकि इस दिशा के देवता भगवान गणेश जी है और प्रतिनिधि ग्रह शुक्र है और गणेश जी के बारे मे यह कहा जाता है कि वह अमंगल का नाश करके घर मे मंगल करते है जबकि शुक्र सुख-समृद्धि का कारक होता है। बेल और लता का कारक शुक्र होता है इसलिए आग्नेय दिशा मे मनी प्लांट लगाने इस दिशा सकारात्मक प्रभाव प्राप्त होता है। 

वहीँ इस पौधे के लिए ईशान यानी उत्तर पूर्व सबसे नकारात्मक दिशा होती है। इस दिशा मे मनी प्लांट लगाने पर धन वृद्धि की बजाय आर्थिक नुकसान हो सकता है। क्योंकि ईशान का प्रतिनिधि ग्रह बृहस्पति है। शुक्र और बृहस्पति मे शत्रुवत संबंध होता है क्योंकि एक राक्षस के गुरू है तो दूसरे देवताओं के गुरू। शुक्र से संबंधित चीज इस दिशा मे होने पर हानि होती है। 

बेल और लता का कारक शुक्र होता है इसलिए आग्नेय दिशा मे मनी प्लांट लगाने इस दिशा सकारात्मक प्रभाव बढ़ता है। मनी प्लांट के लिए सबसे नकारात्मक दिशा ईशान यानी उत्तर पूर्व को माना गया है। इस दिशा मे मनी प्लांट लगाने पर धन वृद्धि की बजाय आर्थिक नुकसान हो सकता है।

मनी प्लांट की सबसे बड़ी खासियत यह है कि घर हो या आँगन यह प्लांट कहीं भी आसानी से लग जाता है। साथ ही यह केवल पानी मे भी लगाया जा सकता है और इसके रखरखाव के लिए भी ज्यादा मेहनत भी नहीं करनी पड़ती है। इसे घर के अंदर व बाहर दोनों जगह ही रखा जा सकता है। जिस कोने मे यह होता है उसकी ओर बरबस ही निगाहें चली जाती हैं। आप चाहें तो इसकी इन सुनहरी पत्तियों को काँट-छाँट कर इसे और भी आकर्षक बना सकते है। मनी प्लांट को घर के अंदर गमले मे अथवा बोतल मे पानी भरकर भी लगाया जा सकता है। इससे सुख-समृद्घि प्रदान करने वाले सकारात्मक उर्जा को आकर्षित किया जा सकता है।

by Pandit Dayanand Shastri.