जानिए मोरपंख द्वारा कैसे करे अपनी जन्म कुंडली और घर के वास्तु दोषो का दोष निवारण :

हिन्दू धर्म मे मोर के पंखो का विशेष महत्व है। भगवान् श्रीकृष्ण का श्रृंगार मोर पंख के बिना अधूरा ही लगता है। वे अपने मुकुट मे मोर पंख विशेष रूप से धारण करते है। मोर पंख का संबंध केवल श्रीकृष्ण से नही, बल्कि अन्य देवी-देवताओ से भी है। प्राचीन काल से ही नजर उतारने व भगवान् कि प्रतिमा के आगे वातावरण को पवित्र करने के लिए भी मोर पंख का ही प्रयोग होता आया है।

हमारे देश भारत मे मान्यता है कि मोर पंख घर मे रखने से अमंगल टल जाता है। दुरात्माएं तो पास ही नहीं आती है। वास्तु एवं ज्योतिष शास्त्र मे मोर के पंखो को बहुत महत्त्वपूर्ण बतलाया गया है। मोरपंख घर मे रखने का बहुत महत्त्व है। इसका धार्मिक प्रयोग भी है, इसे भगवान श्री कृष्ण ने अपने मुकुट पर स्थान देकर सम्मान दिया था। उनके मुकुट को इसीलिए मोर मुकुट कहा जाता था।

भारत मे मोर पक्षी को बहुत सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। इसे भारत का राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया गया है। मोर को देवताओ का पक्षी होने का भी गौरव प्राप्त है। मोर सरस्वती देवी का भी वाहन है। इसलिए विद्यार्थी इस पंख को अपनी पाठ्य पुस्तको के मध्य मे प्राचीन काल से रखते आ रहे है। यही मोर भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय के वाहन के रूप मे भी प्रतिष्ठित है। नेपाल आदि देशो मे मोर को ब्रह्मा की सवारी माना जाता है।यहां तक कि जापान और थाईलैंड मे भी इसे पूज्य माना जाता है।

आयुर्वेद की मान्यता है कि मोर पंख से टीबी, लकवा दमा,नजला तथा बांझपन जैसे रोगों का सफलतापूर्वक उपचार संभव होता है। ज्योतिष शास्त्र एवं वास्तु शास्त्र मे मोर पंख को बहुत भाग्यशाली माना गया है। सावधानीपूर्वक इसका नियमित प्रयोग करने से असंभव कार्य भी संभव से होने लगते है।

मोर पंख की जितनी महत्ता भारत के लोगो के लिए है शायद वह किसी अन्य देश के लोगो के लिए नही है। इंद्र देव का मोरपंख के सिंहासन पर बैठनाए कृष्ण का अपने मुकुट पर मोरपंख को स्थान देना और यहां तक पौराणिक काल मे महर्षियों द्वारा इसी मोरपंख की कलम बनाकर बड़े-बड़े ग्रंथ लिखना आदि कुछ ऐसे मुख्य उदाहरण है, जो मोरपंख की उपयोगिता को स्वंय बयां करते है। मोर के पंख का इस्तेमाल करके भूत-बाधा, नज़र दोष, रोग मुक्ति, ग्रह दोष, वास्तु दोष जैसी समस्याओं से हमेशा के लिए छुटकारा मिल सकता है। मोर पंख को घर मे किसी ऐसी जगह पर रखना चाहिए जहा से वो आसान से दिखायी देता रहे। ऐसा इसलिए क्योंकि मोर पंख घर मे मौजूद नकारात्मक शक्तियो को नष्ट कर सकारात्मक ऊर्जा यानी पॉजिटिव एनर्जी का संचार करता है।

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♦ जानिए विभिन्न धर्मों मे मोरपंख का महत्व :

हिंदू धर्म मे मोर को धन की देवी लक्ष्मी के साथ जोडक़र देखा जाता है। लक्ष्मी सौभाग्य, खुशहाली, विनम्रता और धैर्य का प्रतीक मानी जाती है इसलिए लोग मोर के पंखो का प्रयोग लक्ष्मी की इन्हीं विशेषताओं को हासिल करने के लिए करते है। एशिया के बहुत से देशो मे मोर के पंखो को अध्यात्म के साथ संबंधित किया जाता है। क्वान-यिन जो कि अध्यात्म का प्रतीक है। मोर से खास रिश्ता माना गया है। क्वान.-यन प्रेम, साख, धैर्य और लगाव का सूचक है। इसलिए संबंधित देशो के लोगो के अनुसार मोर पंख से नजदीकी अर्थात क्वान-यिन से समीपता होती है।

बौध्द धर्म के अनुसार मोर अपनी पूंछ फैलाकर अपने सारे पंखो को खोल देता है, इसलिए उसके पंख खुलेपन अर्थात जहां विचारों की कमी ना हो, व्यक्तियो के दिल मे हर किसी के लिए प्रेम और सानिध्य हो, जैसे हालातो को दर्शाते है। ईसाई धर्म मे मोर के पंख, अमरता, पुनर्जीवन और अध्यात्मिक शिक्षा से संबंध रखते है। इस्लाम धर्म मे मोर के खूबसूरत पंख जन्नत के दरवाजे के बाहर अद्भुत शाही बगीचे का प्रतीक माने जाते है।

वैसे जो लोग मोर के पंखो से जुड़ी उपरोक्त बातो से बिल्कुल परिचित नही है वे भी अपने घरो मे मोर के पंख इसलिए रखते है क्योंकि बहुत से लोग यह मानते है कि घरो मे मोरपंख रखने से कीड़े-मकोड़े घर मे दाखिल नहीं होते।

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पक्षी शास्त्र मे मोर और गरुड़ के पंखो का विशेष महत्व बताया गया है। यदि शास्त्रो मे बताई गई विधि से मोर पंख को स्थापित किया जाए तो घर के वास्तु दोष दूर होते है और कुंडली के सभी नौ ग्रहो के दोष भी शांत होते है। शास्त्रो के अनुसार मोर के पंखो मे सभी देवी-देवताओ और सभी नौ ग्रहो का वास होता है। शास्त्रो के अनुसार मोर के पंखो मे सभी देवी-देवताओ और सभी नौ ग्रहो का वास होता है। ऐसा क्यो होता है इसकी हमारे धर्म ग्रंथों मे कथा है जो इस प्रकार है –

प्रचलित कथाओ के अनुसार भगवान शिव ने मां पार्वती को पक्षी शास्त्र मे वर्णित मोर के महत्व के बारे मे बताया है। प्राचीन काल मे संध्या नाम का एक असुर हुआ था। यह बहुत शक्तिशाली और तपस्वी असुर था। गुरु शुकाचार्य के कारण संध्या देवताओ का शत्रु बन गया था। संध्या असुर ने कठोर तप कर शिवजी और ब्रह्मा को प्रसन्न कर लिया था। ब्रह्माजी और शिवजी प्रसन्न हो गए तो असुर ने कई शक्तियां वरदान के रूप मे प्राप्त की। शक्तियो के कारण संध्या बहुत शक्तिशाली हो गया था। शक्तिशाली संध्या भगवान विष्णु के भक्तो का सताने लगा था। असुर ने स्वर्ग पर भी आधिपत्य कर लिया था, देवताओ को बंदी बना लिया था। जब किसी भी तरह देवता संध्या को जीत नहीं पा रहे थे, तब उन्होंने एक योजना बनाई।

योजना के अनुसार सभी देवता और सभी नौ ग्रह एक मोर के पंखो मे विराजित हो गए। अब वह मोर बहुत शक्तिशाली हो गया था। मोर ने विशाल रूप धारण किया और संध्या असुर का वध कर दिया। तभी से मोर को भी पूजनीय और पवित्र माना जाने लगा। ज्योतिष शास्त्र मे भी मोर के पंखो का विशेष महत्व बताया गया है। यदि ज्योतिष शास्त्र  मे बताई गई विधि से मोर पंख को स्थापित किया जाए तो घर के वास्तु दोष दूर होते है और कुंडली के सभी नौ ग्रहों के दोष भी शांत होते है।

यदि आप कुंडली मे स्थित ग्रहो के बुरे प्रभाव दूर करना चाहते है या आपको सूर्य, मंगल, शनि या राहु-केतु की अशुभ स्थिति के कारण परेशानियां आती हो तो मोर पंख पर 21 बार मंत्र बोलकर पानी के छीटें दीजिए। इसके बाद मोर पंख को घर मे किसी श्रेष्ठ स्थान पर स्थापित कीजिए।

धन-वैभव मे वृद्धि की कामना से निवेदन पूर्वक नित्य पूजित मन्दिर मे श्रीराधा-कृष्ण के मुकुट मे मोर पंख की स्थापना करके/करवाकर 40वें दिन उस मोर पंख को लाकर अपनी तिजोरी या लॉकर मे रख दे। धन-संपत्ति मे वृद्धि होना प्रारम्भ हो जायेगी । सभी प्रकार के रुके हुए कार्य भी इस प्रयोग से बन जाते है।

नवजात बालक को एक मोर का पंख चांदी के ताबीज मे डाल कर पहना देने से बालक डरता नहीं है तथा नजर दोष से भी बचा रहता है। बच्चा जिद्दी हो तो इसे छत के पंखे के पंखो पर लगा दे ताकि पंखा चलने पर मोर के पंखो की हवा बच्चे को लगे धीरे धीरे उनकी जिद्द कम होती जायेगी । यदि शत्रु अधिक तंग कर रहे हो तो मोर के पंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिंदूर से मंगलवार या शनिवार रात्रि को बजरंग बली का नाम लिखे। इससे अपने घर के मंदिर मे रातभर रखे। इसे प्रातःकाल उठकर बिना नहाए धोए बहते पानी मे बहा देने से शत्रु, शत्रुता छोड़ कर मित्रतापूर्ण व्यवहार करने लगेगा। घर के मुख्य द्वार पर मोरपंख लगाने से घर मे बुरी आत्माओ का प्रवेश नहीं होता। सर्प और बिच्छू घर मे नहीं आते तथा घर मे अनावश्यक उपद्रव नहीं होते।

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♦ जानिए की मोरपंख द्वारा कैसे करे नवग्रहो के दोष दूर:
♦ शनि की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय:

शनिवार को तीन मोर पंख ले कर आएं। पंख के नीचे काले रंग का धागा बांध ले। एक थाली मे पंखो के साथ तीन सुपारियां रखे। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करे-

» मंत्र  : ‘ऊँ शनैश्वराय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा” ।
» तीन मिटटी के दीपक तेल सहित शनि देवता को अर्पित करे।
» गुलाब जामुन या प्रसाद बना कर चढ़ाएं।

♦ चंद्र की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय:

सोमवार को आठ मोर पंख लेकर आएं, पंख के नीचे सफेद रंग का धागा बांध ले। इसके बाद एक थाली मे पंखों के साथ आठ सुपारियां भी रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करे।

» मंत्र : ऊँ सोमाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
» पान के पांच पत्ते चंद्रमा को अर्पित करें। बर्फी का प्रसाद चढ़ाएं।

♦ मंगल की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय: 

मंगलवार को सात मोर पंख लेकर आएं, पंख के नीचे लाल रंग का धागा बांध ले। इसके बाद एक थाली मे पंखों के साथ सात सुपारियां रखें। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करे…

» मंत्र:  ऊँ भू पुत्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
» पीपल के दो पत्तों पर चावल रखकर मंगल ग्रह को अर्पित करें। बूंदी का प्रसाद
चढ़ाएं।

♦ बुध की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय: 

बुधवार को छ: मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे हरे रंग का धागा बांध ले। एक थाली मे पंखो के साथ छ: सुपारिया रखे। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करे।

» मंत्र :  ऊँ बुधाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
» जामुन बुद्ध ग्रह को अर्पित करें। केले के पत्ते पर रखकर मीठी रोटी का प्रसाद चढ़ाएं।

♦ गुरु की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय: 

गुरुवार को पांच मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे पीले रंग का धागा बांध ले। एक थाली मे पंखो के साथ पांच सुपारिया रखे। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करे।

» मंत्र  :”ऊँ ब्रहस्पते नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
»  ग्यारह केले बृहस्पति देवता को अर्पित करे।
»  बेसन का प्रसाद बनाकर गुरु ग्रह को चढ़ाएं।

♦ शुक्र की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय: 

शुक्रवार को चार मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे गुलाबी रंग का धागा बांध ले।एक थाली मे पंखों के साथ चार सुपारियां रखे। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करे।

» मंत्र  : ऊँ शुक्राय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
» तीन मीठे पान शुक्र देवता को अर्पित करे।
» गुड़-चने का प्रसाद बना कर चढ़ाएं।

♦ सूर्य की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय: 

रविवार के दिन नौ मोर पंख लेकर आएं और पंख के नीचे मैरून रंग का धागा बांध ले। इसके बाद एक थाली मे पंखो के साथ नौ सुपारियां रखें, गंगाजल छिड़कते
हुए 21 बार इस मंत्र का जप करे।

» मंत्र- ऊँ सूर्याय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
» इसके बाद दो नारियल सूर्य भगवान को अर्पित करे।

♦ राहु की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय :

♦राहु का दोष होने पर मोरपंख घर की पूर्वी और उत्तर पश्चिम की दीवार पर लगाएं। कहते है इस तरह घर मे विषैले जीवों का डर भी नहीं रहता।

♦ यदि शत्रुता समाप्त करनी हो या कि शत्रु तंग कर रहे हो, तो मोरपंख पर हनुमान जी के मस्तक के सिंदूर से उस शत्रु का नाम मंगलवार या शनिवार रात्रि मे लिखकर उसे घर के पूजा स्थल मे रखे व सुबह उठकर उसे चलते पानी मे प्रवाहित कर आएं। शत्रु मित्र मे बदल जाएगा |

♦ मोर व सर्प मे शत्रुता है अर्थात सर्प, शनि तथा राहू के संयोग से बनता है। यदि मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार मे या अपनी जेब व डायरी मे रखा हो तो राहू का दोष कभी भी नहीं परेशान करता है। मोरपंख की पूजा करे या हो सके तो उसे हमेशा अपने पास रखे।

उपाय: शनिवार को सूर्य उदय से पूर्व दो मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे भूरे रंग का धागा बांध लें। एक थाली मे पंखो के साथ दो सुपारियां रखे। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करे…

» मंत्र  : ऊँ राहवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
» चौमुखा दीपक जलाकर राहु को अर्पित करे।
» कोई भी मीठा प्रसाद बनाकर चढ़ाएं।

♦ केतु की अशुभ दशा से मुक्ति के लिए उपाय: 

शनिवार को सूर्य अस्त होने के बाद एक मोर पंख लेकर आएं। पंख के नीचे स्लेटी रंग का धागा बांध ले। एक थाली मे पंख के साथ एक सुपारी रखे। गंगाजल छिड़कते हुए 21 बार इस मंत्र का जप करे।

» मंत्र : ऊँ केतवे नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा:
» पानी के दो कलश भरकर राहु को अर्पित करे।
» फलो का प्रसाद चढ़ाएं।

♦ विशेष ध्यान रखे,कालसर्प दोष/योग से प्रभावित जातको को एक सफ़ेद कपडे मे मोरपंख अपने दाहिने हाथ मे बंधन चाहिए| इसके प्रभाव स्वरूप जीवनभर के लिए कालसर्प दोष/योग का प्रभाव समाप्त हो जाता है | काल सर्प दोष होने पर जातक अपने सिरहाने मोरपंख रखें और अपने बेडरूम मे पशि्चम की दीवार पर 11 मोर पंखो का पंखा लगाएं, तो बाधा दूर होगी।

♦ कालसर्प दोष को दूर करने की मोर पंख मे अद्भुत क्षमता होती है। कालसर्प दोष से पीडि़त व्यक्ति अपने तकिए के खोल के भीतर मोर पंख रखना चाहिए। यह कार्य सोमवार की रात्रि को करना चाहिए। प्रतिदिन इसी तकिए का प्रयोग करे। इससे कालसर्प दोष का प्रभाव क्षीण हो जाता है।

♦ अपने बेड रूम की पश्चिमी दीवार पर मोर के पंख का पंखा जिसमे कम से कम 11 मोर के पंख तो हो , लगा देने से कालसर्प दोष के कारण आई बाधा दूर होती जाती है।

♦ यदि बच्चा जिद्दी हो तो मोर पंख को छत के पंखे के पंखो पर लगा दे। पंखा चलने पर मोर के पंखों की भी हवा बच्चे को लगेगी। इसके कारण बच्चे मे धीरे-धीरे हठ व जिद कम होती जाएगी।

♦ मोर व सर्प मे शत्रुता होती है। यदि मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार मे या जेब व डायरी मे रखा हो तो राहू का दोष कभी भी नही परेशान करता है तथा घर मे सर्प, मच्छर, बिच्छू आदि विषैले जंतुओं का भय नहीं रहता है।

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♦ जानिए मोरपंख द्वारा घर का वास्तु ठीक करने का उपाय:

♦मोर पंख को सम्मोहन का प्रतीक माना गया है। घर मे मोर पंख रखना प्राचीनकाल से ही बहुत शुभ माना जाता है। वास्तु के अनुसार भी मोर पंख घर से अनेक प्रकार के वास्तुदोष दूर करता है। मोर पंख सकारात्मक उर्जा को अपनी तरफ खीचता है। मोर पंख को वास्तु के अनुसार बहुत उपयोगी माना गया है।

♦ यदि घर का द्वार वास्तु नियम के विरुद्ध हो तो द्वार पर तीन मोर पंख स्थापित करे। जिन लोगों की कुण्डली मे राहू-केतु कालसर्प योग का निर्माण कर रहे हो उन्हें अपने तकिये के खोल मे 7 मोर पंख सोमवार की रात्रि मे डालकर उस तकिये का उपयोग करना चाहिए साथ ही शयनकक्ष की पश्चिम दिशा की दीवार पर मोर पंखों का पंखा जिसमे कम से कम 11 मोर पंख लगे हो लगा देना चाहिए। इससे कुण्डली मे अच्छे ग्रह अपनी शुभ प्रभाव देने लगेगे और राहू-केतु का अशुभत्व कम हो जायेगा।

♦अकसर फ्लैट्स मे रसोई घर वास्तु के अनुसार नहीं होते। ऐसे मे दो मोरपंख रसोईघर में स्थापित करे। मोरपंख भोजन बनाने वाले स्थान से दूर लगाएं। दोनो के नीचे मौलि बांध दे और पंखो पर गंगाजल छिड़क कर ॐ अन्नपूर्णाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा मंत्र से अभिमंत्रित कर स्थापित करे।

♦ घर मे मोरपंख रखने से घर का वास्तु प्रभाव बदला जा सकता है। घर के दक्षिण-पूर्व मे मोरपंख लगाने से बरकत बढ़ती है और कष्ट नहीं आता।

♦ घर का दरवाजा वास्तु अनुकूल न होने पर दरवाजे पर तीन मोर पंख लगाएं और – ॐ द्वारपालाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा- मंत्र से अभिमंत्रित कर पंख के नीचे गणपति की छोटी प्रतिमा स्थापित करे।

♦यदि पूजा स्थान वास्तु अनुकूल नहीं है, तो पूजा स्थान को कुमकुम का तिलक लगे और – ॐ कूर्म पुरुषाय नमः जाग्रय स्थापय स्वाहा।- मंत्र से अभिमंत्रित मोरपंखो से सजाएं। यहां शिवलिंग स्थापित करे।

♦ वास्तु के अनुसार घर मे कृष्ण की तस्वीर लगाना बहुत शुभ माना गया है। घर के किस कोने मे कृष्ण के किस स्वरूप की तस्वीर शुभ फल देने वाली मानी जाती है।

♦कृष्णा का मक्खन खाता हुआ चित्र रसोई घर मे लगाना वास्तु के अनुसार बहुत शुभ माना जाता है।

♦ संतान सुख की प्राप्ति के लिए श्री कृष्ण के बालस्वरूप का चित्र बेडरुम मे लगाएं।

♦ ध्यान रखे कि कृष्ण का फोटो स्त्री के लेटने के समय बिल्कुल मुख के सामने की दीवार पर रहे।

♦ यूं तो पति-पत्नी के कमरे मे पूजा स्थल बनवाना या देवी-देवताओ की तस्वीर लगाना वास्तुशास्त्र मे निषिद्ध है फिर भी राधा-कृष्ण की तस्वीर बेडरूम मे लगा सकते है।

♦विशेष सावधानी रखे, अपने भवन मे महाभारत के युद्ध दर्शाने वाली तस्वीर लगाना वास्तुशास्त्र के अनुरूप नहीं माना जाता इसलिए ऐसे चित्र घर में न लगाएं।

♦भगवान श्रीकृष्ण का चित्र आवासीय एवं व्यावसायिक दोनो ही स्थानो पर रखा जाना चाहिए, इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

♦ भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला के दृश्यों की तस्वीरो को भवन की पूर्व दिशा पर लगाया जा सकता है।

♦वसुदेव द्वारा कृष्ण को टोकरी मे लेकर नदी पार करने वाला फोटो को घर मे लगाने से घर से कई तरह की समस्या दूर होने लगती है ।

♦ मोर पंख को घर के दक्षिण-पूर्व कोण मे लगाने से धन की वृद्धि होती है।

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♦ ऐसे होगा अचानक विपदा निवारण: 

जीवन मे मोर पंख से कई तरह के संकट दूर किये जा सकते है। अचानक कष्ट या विपत्ति आने पर घर अथवा शयनकक्ष के अग्नि कोण मे मोर पंख लगाना चाहिए थोड़े ही समय मे सकारात्मक असर होगा ।

by Pandit Dayanand Shastri.