आइये जाने ज्योतिष मे पायलट/ विमान चालक / एयर होस्टेस बनने के योग :

क्या आप पक्षियो के समान आसमान मे उड़ने का सपना देखते है? यदि हां, तो आपका यह ख्वाब पायलट/ विमान चालक /एयर होस्टेस  बनकर पूरा हो सकता है। एविएशन के इस क्षेत्र मे जहां आप एक पालयट के रूप मे आसमान मे उड़ने का सपना पूरा कर सकते है, वहीं आप इस विशाल क्षेत्र के अन्य विभागो मे भी अपने भविष्य को ऊंची उड़ान दे सकते है। हवाई यात्रा के किराए का घटना तथा यात्रियो की तादाद बढ़ने से यह क्षेत्र निरंतर प्रगति एवं वृद्धि कर रहा इसलिए इस क्षेत्र मे स्वर्णिम करियर उपलब्ध है। हवाई जहाजो के माध्यम से देश-विदेश मे आवागमन बढते जाने के कारण विमान चालको एव उनकी परिचारिकाओ की भी आवश्यकता अत्यधिक होती जा रही है । इनको मिलने वाले पैसे औंर विभन्न जगहों की सैर इनकी ग्लैमरस छवि बना रही है। टीवी पर विमान और विमान मे काम करने वाले इस वर्ग के लोगों को बहुत ही लुभावना दिखाये जाने के फलस्वरुप ही आज का छोटा बच्चा भी पायलेट बन उडान भरने की जिज्ञासा पैदा किये हुए दिखता है और छोटी बालिकांए विमान मे काम करने वाली एयर होस्टेस बनने का सुहाना सपना देखने लगती है। गौरतलब है कि एक कमर्शियल पायलट बनने के लिए आपसे 100 प्रतिशत नहीं, अपितु 200 प्रतिशत कमिटमेट की दरकार होती है। तुरंत निर्णय लेने की क्षमता, घंटों तक कार्य करना, अपने काम को जिम्मेदारी के साथ पूरा करना जैसी चुनौतियां पायलट के सम्मुख होती है और यदि आपमे यह क्षमता है तो आप भी एक कमर्शियल पालयट के रूप मे एविएशन इंडस्ट्री मे चमकीला करियर बना सकते है।पायलट जहां एयरक्रॉफ्ट को उड़ान देता है, वहीं इसकी जिम्मेदारियां भी एयरक्रॉफ्ट की गति से बढ़ती जाती है। विमान उड़ाने के साथ-साथ इन्हें प्री-फ्लाइट प्लान्स पर भी गंभीरता से ध्यान देना होता है और मेट्रोलॉजिकल सूचनाओं को जुटाना होता है साथ ही एयरक्रॉफ्ट मे ईंधन की मात्रा की जानकारी रखना और ट्रेफिक कंट्रोल विभाग व कैबिन क्रू से निरंतर संपर्क मे रहना होता है। 
उम्मीदवार यदि भौतिकी व गणित विषयो के साथ बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण हो तो वह एसपीएल लाइसेंस प्राप्त करने के बाद सीपीएल यानी कि कमर्शियल पालयट लाइसेंस प्राप्त कर सकता है। यह लाइसेंस डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) द्वारा प्रदान किए जाते है। इसके तहत उम्मीदवार को फ्लाइंग क्लब या फ्लाइंग स्कूल द्वारा निर्धारित नियमों और घंटों की उड़ान का टेस्ट पास करना होता है। प्राइवेट पायलट लाइसेंस प्राप्त करने के लिए उम्मीदवार को डीजीसीए द्वारा संचालित परीक्षा मे शामिल होना पड़ता है। इस परीक्षा के तहत एयर नेवीगेशन, एविएशन मेट्रोलॉजी, एयर रेगुलेशन और तकनीकी विषयों से संबंधित थियोरिटीकल प्रश्न पूछे जाते है। इस क्षेत्र मे करियर बनाने के लिए उम्मीदवार के पास अच्छी दृष्टि क्षमता होना तथा शारीरिक रूप से फिट होना भी बहुत जरूरी है।
♦ आइये जाने और समझे किसी भी कुंडली मे पायलट बनने के योगों को :
ज्योतिष के माध्यम से यह जाना जा सकता है कि कौन सा बच्चा या बालिका पायलेट या एयर होस्टेस बन सकता है। पायलेट या एयर होस्टेस या विमान उडान मे कार्यं करने वाले लोगो की कुंडली मे पराक्रम भाव, लग्न, कर्म भाव, अक्षम व व्ययभाव वायु तत्व व आकाश तत्व राशियों से संबंधित होना अनावश्यक होता है। इसके अतिरिक्त इन्हीं भादों की चर राशियां या प्रेमभाव राशियां भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है । 
कुण्डली मे अनेक प्रकार के ऎसे योग बनते है जो पायलट बनने के क्षेत्र मे काफी सहयोगी होते है जिनके बनने से जातक इस कैरियर को आसानी से अपना सकता है। ज्योतिष के माध्यम से यह जाना जा सकता ही बच्चा इस क्षेत्र मे कुछ कर सकता है या नहीं। निचे दिए गए कई प्रकार के योग इस काम के करने मे प्रबल सहायक बनते है। पायलेट जैसे काम को करने के लिए सर्वप्रथम व्यक्ति मे साहस और पराक्रम, बौद्धिकता, खूब होना चाहिए अत: कुण्डली मे लग्न, तीसरे भाव, कर्म भाव, अष्टम स्थान और द्वादश भाव की भूमिका तय कि जाती है जिसके आधार पर इस कार्य को करने की योग्यता एवं ग्रह योग का निर्धारण किया जाता है।
♦ लग्न, पराक्रम भाव, कर्म भाव और अष्टम भाव को वायु तत्व व आकाश तत्व वाली राशियो से संबंधित होना चाहिए। इसके अतिरिक्त इन भावों मे चर रशियां अथवा द्विस्वभाव वाली राशियो का होना अनुकूल माना जाता है। कर्म भाव अर्थात दशम भाव मे शुक्र की राशि स्थित हो और इस भाव पर भाग्येश, लग्नेश व लाभेश इत्यादि का किसी भी प्रकार से संबंध बन रहा हो।
♦ वायु कारक राहु का चंद्रमा के साथ व्यय भाव मे या चतुर्थ भाव मे हो या इनसे संबंध बना रहा हो तथा दशमेश शुभ स्थिति मे त्रिकोण स्थान मे स्थित हो तो व्यक्ति को हवाई यात्राओं से संबंधित काम करने को मिलता है। यदि जन्म कुण्डली के लग्न भाव मे चर राशि का राहु स्थित हो तथा वह तृतीयेश के साथ दृष्टि संबंध बना रहा हो
♦ यदि दशमेश चंद्रमा का संबंध बारहवे भाव या तीसरे भाव से हो रहा हो । दशम भाव को किसी भी रूप मे लग्नेश और भाग्येश प्रभावित करते हो तो इस स्थिति मे भी जातक हवाई उडा़न से संबंधित कमो मे रूचि रखता है और इस क्षेत्र मे नाम कमा सकता है
♦ जब लग्न चर राशि का हो और वह दशमेश राहु के साथ युति संबंध बनाते हुए तीसरे भाव, बारहवें या अष्टम भाव मे बैठा हो । शुक्र कर्म भाव को किसी भी तरह से प्रभावित करता हो और तृतीयेश का संबंध पंचमेश अथवा भाग्येश से हो रहा हो तथा मंगल लग्न या कर्म भाव से संबंध बना रहा हो तो जातक पायलट बन सकता है अथवा हवाई यात्रा से संबंधित अन्य कामों को भी कर सकता है।
♦ जब जन्म कुण्डली मे राहु द्वादश भाव मे स्थित होकर शुक्र को प्रभावित करता हो तथा द्वादश भाव का स्वामी दशम भाव मे स्थित हो या उसे प्रभावित करे, कर्मेश का संबंध सप्तमेश के साथ हो व मंगल और चंद्रमा भी प्रभावित हो रहे हों तो जातक पायल या एयर होस्टेस का कार्य कर सकता है।
♦ जब शुक्र और राहु लग्न, तृतीय भाव, दशम भाव, पंचम भाव, अष्टम भाव या द्वादश भाव से संबंध बनाए और लग्नेश का संबंध भी अष्टम भाव, द्वादश भाव या तीसरे भाव या दशम भाव से संबंध बना रहा हो तो जातक हवाई यात्रा मे रूचि रख सकता है
♦ यदि कुंडली मे द्वादशेश का संबंध पंचमेश से हो रहा हो, भाग्येश व कर्मेश का संबंध तृतीयेश या अष्टमेश से हो रहा हो और दशम भाव का राहु या शुक्र द्वादशेश से प्रभावित हो रहा हो तो जातक पायलट या एयरहोस्टेस का काम कर सकता है
♦ जब कुंडली मे  वायु तत्व राशियां बली हो तथा इन राशियो के स्वामी अधिकतर चर राशियो मे स्थित हों तथा द्विस्वभाव राशियो से भी संबंध रखते हो। कुंडली मे तीसरा, दशम व अष्टम भाव विशेष बली हो तथा लग्न अग्नि तत्व राशि हो और इसके स्वामी का वायु तत्व राशि से किसी भी प्रकार का सम्बन्ध हो अथवा या यह वायु तत्व राशि मे स्थित हो । यदि कुंडली मे वायु कारक शुक्र, कारक बुध, जल कारक चंद्रुवायु कारक राहु यांत्रिक कारक वाल व शनि आदि का संबंध लग्न, पराक्रम, अष्टम, कर्म,लाभ, व्यय, सप्तम आदि से होता हो,तब भी जातक की हवाई उड़ान से संबंधित कार्य मे रुचि होती है।
by Pandit Dayanand Shastri.